होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा । नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥ राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । हनुमान यात्नमास्ताया दु:ख क्षय करोभाव Hanuman https://goto-directory.com/listings13210931/hanuman-mantra-no-further-a-mystery